तुम जो ये ... नंगी पीठ, उभरते अंग दिखाकर हवस जगा रही हो ना .. इसकी कीमत मासूम बच्चियों को चुकानी पड़ रही है.
तुम जो ये ... नंगी पीठ,
उभरते अंग दिखाकर
हवस जगा रही हो ना ..
इसकी कीमत
मासूम बच्चियों को चुकानी पड़ रही है.
हर रोज तुम्हारे इन्हीं
अर्धनग्न अंगों को देखकर ....
उत्तेजित व हवस के भूखे भेड़िए
वहशी दरिंदे, 1 से 9 साल की
मासूम बच्चियों के साथ
बलात्कार कर रहे हैं.
तुम अर्धनग्न पीढ़ी जिम्मेदार हो,
उन मासूम बच्चियों के साथ हो रहे
बलात्कारों के लिए.
वर्ना ...
माँ जगदम्बा की परिक्रमा करते हुए
डांडिया रास नाचते हुए
अर्धनग्न होना जरूरी नहीं है.
हमारे पूर्वज
पौराणिक परंपरागत परिधानों में ही
माँ दुर्गा की स्तुति करते थे.
मैं तुम्हे नाचने से नहीं रोक रहा हूँ.
मैं तुम्हे डांडिया रास करने से भी
नहीं रोक रहा हूँ.
मगर ....
माँ जगदम्बा की आराधना व
व्रत शक्ति से दैवीय शक्ति की
उपासना के लिए
ईजाद किये गए नृत्य के समय, क्या
अर्धनग्न पहनावा पहनना जरूरी है ?
क्या अपने पुरखों के
पारंपरिक पहनावे में हम
डांडिया रास नहीं खेल सकते ?
जिन विदेशियों ने तुम्हें
ये अर्धनग्नता की आधुनिकता सिखाई,
अब वो भी इससे ऊब चुके हैं और
सनातन संस्कृति की ओर लौट रहे हैं.
जरा सोचिए....
नग्नता के नाम पर बने
ईसाई धर्म के लोग जब
नग्न पहनावे को छोड़ रहे हैं ,
तो फिर हम अपने बच्चों को
नग्नता की आजादी देकर
कौनसा हिन्दू धर्म मजबूत कर रहे हैं ?
जागो हिन्दुओं ..!!
सनातन संस्कृति की ओर लौट चलो.
नग्नता व फूहड़ता
मानसिक शांति तो शायद दे दे ....
मगर निर्लज्ज वस्त्र आपको
आत्मिक शांति कभी नहीं दे सकते.
नाचो , गाओ खूब....
मगर संस्कृति को भी जीवित रखो.
ये संस्कृति आपके शरीर की तरह है.
जब तक जिंदा है संस्कृति,
आप हिन्दू कहलाओगे ..!!!
आओ संस्कृति_बचाएँ.
शालीन पारंपरिक वेशभूषा को पहन
गरबा रास करें.
परिक्रमा करें
जगजननी माँ जगदम्बा की.
🙏
बचें ...अश्लीलता, फूहड़ता, नग्नता
व सामाजिक वेश्यावृत्ति से ...!!
वर्ना ...
जिस संसार में सब नग्न पैदा होते हैं,
उस संसार में ...
धार्मिक स्थलों व धार्मिक पर्वों पर
आपके द्बारा परोसी गई नग्नता
एक पैशाचिक समाज को जन्म दे रही है.
युवा पीढ़ी के द्वारा परोसी गई नग्नता
व बॉलीवुड सामाजिक वेश्याओं व
भाँडो द्वारा सिखाई गई
उत्तेजित दर्शयात्मक
कामुक नग्नता की कीमत ....
मासूम बच्चियों को
बलात्कारियों के द्वारा चुकाने की
नौबत आ चुकी है ..!!
जागो हिन्दुओं ..!!
आपका धर्म आपको वैचारिक व
मानसिक आजादी जरूर देता है, मगर
धार्मिक नग्नता की कीमत पर नहीँ.
जागो और जगाओ....!!
और ये चित्र तुम्हारे अपने हैं.
सोचो और... शर्म_करो ...!!

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